हाँ, अटल हो तुम देश के महान सपूत हो तुम । हाँ, अटल हो तुम देश के महान सपूत हो तुम ।
क्या-क्या गिनाऊं दीदी दिल से नमन करती हूं। क्या-क्या गिनाऊं दीदी दिल से नमन करती हूं।
तो हँसकर बोले वो तो भारत रत्न लता है। तो हँसकर बोले वो तो भारत रत्न लता है।
मैं नदी हूँ तुम्हारी माँ जैसी हूँ सब कुछ सह चुप रहती हूँ। मैं नदी हूँ तुम्हारी माँ जैसी हूँ सब कुछ सह चुप रहती हूँ।
जो गर्व था कभी मातृभाषा का, लोगों में ऐसा अभिमान कहाँ ? जो गर्व था कभी मातृभाषा का, लोगों में ऐसा अभिमान कहाँ ?
इस मिट्टी में हरे भरे खेत लहराते हैं, खुली हवा में पक्षी विचरण करते चहचहाते हैं ! इस मिट्टी में हरे भरे खेत लहराते हैं, खुली हवा में पक्षी विचरण करते चहचहाते ह...